Raktanchal Review: डायलॉग और विलेन निकला कमजोर, वर्ना छा जाता 'रक्ताचंल' का खौफ़
एक समय था, जब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर को पूर्वांचल के क्राइम का गढ़ कहा जाता था। मामला तब ठेकेदारी का था। शराब की ठेकेदारी, कोयले की ठेकेदरी और रेलवे की ठेकादारी। कट्टे के दम पर कई बाहुबली अपना वर्चस्व हासिल करना चाहता थे। ऐसी ही एक कहानी है 'रक्ताचंल'। गाज़ीपुर का एक बाहुबली वसीम ख़ान, जिसके पास पूर्वांचल में राजनीतिक समर्थन हासिल है। इसके दम पर वह ठेकदारी समेते कई धंधों पर अपना वर्चस्व जमाए हुए है।
उसके गुड़ें गाज़ीपुर एक लोकल नेता को मार देते हैं, जो ठेकदार के ख़िलाफ़ मजदूरों की लड़ाई लड़ रहा होता है। इस लोकल नेता का बेटा विजय सिंह भी बदले की आग में क्राइम की दलदल में उतर जाता है। वह वसीम ख़ान को हर मोर्चे पर टक्कर देता है। तमंचे और बंदूक की इस जंग में लाशों की ढ़ेर लगनी शुरू हो जाती है। अंत में किसका वर्चस्व हासिल होता है, यह जानने के लिए आपको वेब सीरीज़ देखनी होगी।